श्रीगणेश

भगवान गणेश सुख समृद्धि, रिद्धि सिद्धि, वैभव आनंद, ज्ञान एवं सुविधा के अधिष्ठाता देव है| इनकी पूजा करने से मनुष्य के जीवन से सभी विघ्नों एवं कष्ट समाप्त हो जाते हैं | हर साल गणेश जी का यह गणेश चतुर्थी के त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है |

श्रीगणेश

भगवान गणेश सुख समृद्धि, रिद्धि सिद्धि, वैभव आनंद, ज्ञान एवं सुविधा के अधिष्ठाता देव है| इनकी पूजा करने से मनुष्य के जीवन से सभी विघ्नों एवं कष्ट समाप्त हो जाते हैं | हर साल गणेश जी का यह गणेश चतुर्थी के त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है |

लेकिन क्या आप जानते हैं की उन्हें एकदंत क्यों कहा जाता है ?गणेश जी की पूजा में तुलसी का उपयोग क्यों नहीं किया जाता ? गणेश चतुर्थी के इस पवित्र त्यौहार के मौके पर हम आपको गणेश जी से जुड़े कुछ ऐसे बात बताने जा रहे हैं जो शायद आप नहीं जानते |आपको बताते हैं गणेश जी से जुड़े रहस्य | दोस्तों गणेश जी जिन्हें गणपति, वक्रतुंड ,गजानन ऐसे कई नामों से जाना जाता है माता पार्वती और शिव जी के पुत्र हैं  | उनका जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था | गणेश जी के जन्म की कथा तो सभी जानते हैं ,हम संक्षिप्त में आपको बताते हैं |

शिव पुराण के अनुसार माता पार्वती अपने शरीर पर लगी हल्दी से गणेश जी की मूर्ति बनाएं और उसमें प्राण डाल दिए और उस बालक को द्वार पर पहरा देने के लिए कह दिया | जब शिवजी माता पार्वती के स्थान पर प्रवेश करने लगे तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया |और फिर शिवजी के त्रिशूल द्वारा सिर धड़से अलग किए जाने के पश्चात भगवान शिव ने उस बालकको हातीका सर लगा दिया उसी दिनसे वो  बालक गजानन के रूपमे जाने लगा |

दूसरी बात  कैसे टूटा हुआ था गणेशजी के एक दांत ? एक बार परशुराम जी भगवान शिव के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पर आए थे |लेकिन शिवजी ध्यान में लीन थे| तभी गणेश जी ने परशुराम जी को शिव जी से मिलने से रोक लिया | क्रोध में आकर परशुराम जी ने गणेश जी पर अपना सस्त्र परसु का प्रहार किया गणेश जी जानते थे कि यह परसु भगवान शिव ने परशुराम जी को दिया था | इसी कारण उनका सम्मान करते हुए उसका प्रहार अपने एक दन्तपर ले लिया और उनका एक दांत टूट गया | उसी दिनसे उहने एकदंत कहा जाने लगा|

तीसरा, शास्त्र के अनुसार गणेश जी का विवाह हुआ था और उनकी दो पत्नियां थी जिनका नाम रिद्धि और सिद्धि है | तथा इसे गणेश जी को दो पुत्र हुए जिनका नाम शुभ और लाभ बताया जाता है | शुभ और लाभ के दो शब्द आपको अक्सर उनकी मूर्ति के साथ दिखाई देते हैं तथा यह सभी जन्म और मृत्यु में आते हैं | गणेश जी की पूजा से व्यक्ति को सिद्धियां प्राप्त होती हैं |

भगवान गणेश से जुड़ी एक कथा प्रचलित है तुलसी ने गणेश जी को श्राप दिया था| एक बार गणेश जी तपस्या में लीन थे उनके तेज को देखकर तुलसी  मोहित हो गई थी | उसने गणेश जी के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा | अपने को  ब्रह्मचारी बताते हुए गणेश जी ने प्रस्ताव को ठुकरा दिया और क्रोध में आकर तुलसी ने गणेश जी को श्राप दिया कि उनका ब्रह्माचार्य टूट जाए और उनके दो विवाह हो | इस पर गणेश जी ने तुलसी को श्राप दिया कि उसका विवाह एक राक्षस के साथ होगा | उसी को अपनी भूल का अहसास हुआ तो उसने गणेश जी से क्षमा मांगी| गणेश जी तुलसी से कहने लगे तुम्हारे श्राप के कारण मेरा विवाह होगा और तुम्हारा विवाह जालंधर नामक राक्षस से हो जाएगा परंतु तुम्हे भगवान विष्णु की पूजा में विशेष स्थान दिया जाएगा | परंतु मेरी पूजा में तुम्हारा उपयोग नहीं किया जाएगा गणेश जी की पूजा में तुलसी का उपयोग नहीं होताहे |