भगवान का अवतार प्रसंग
श्रीपाद रूपगोस्वामी ने 'लघुभागवतामृत' ग्रंथ में भगवान के सभी अवतारों को छह भागों में विभाजित किया है, यथा - • लीलावतार - श्रीकृष्ण, श्रीराम, श्रीनृसिंह, श्रीवामन • गुणावतार - ब्रह्मा, विष्णु और शिव । । • पुरुषावतार - कारणोदकशायी,
श्रीपाद रूपगोस्वामी ने 'लघुभागवतामृत' ग्रंथ में भगवान के सभी अवतारों को छह भागों में विभाजित किया है, यथा -
- लीलावतार - श्रीकृष्ण, श्रीराम, श्रीनृसिंह, श्रीवामन
- गुणावतार - ब्रह्मा, विष्णु और शिव । ।
- पुरुषावतार - कारणोदकशायी, क्षीरोदकशायी और गर्भोदक शाय
विष्णु ।
- युगावतार प्रत्येक युग के युगधर्म यथाक्रम से ध्यान, यज्ञ, अर्चन और कीर्तन है । इसके प्रवर्तन के लिए भगवान क्रमशः शुक्ल, रक्त, कृष्ण और पीत वर्ण धारण करके जो अवतार लेते हैं, उसको युगावतार कहते हैं । यह श्रीमद्भागवत एकादश स्कन्ध पाँचवें अध्याय में 'कृते शुक्लः त्रेतायां रक्तवर्ण: द्वापरे श्यामः एवं कलौ पीतः ' ऐसा वर्णित है ।स्कन्द पुराण पर आधारित
- शक्त्यावेशावतार- भगवान वेदव्यास, पृथु, देवर्षि नारद आदि । यथा ज्ञानावेश, वैराग्यावेश अवतार भगवान् कपिल, ऋषभदेव आदि ।
- मन्वन्तरावतार - भागवत के अष्टम स्कन्ध में चौदह मन्वन्तर की कथा है; यथा - स्वायम्भुव, स्वारोचिष, उत्तम, तामस, रैवत, चाक्षुष, वैवस्वत, सावर्णि आदि हैं। सभी मनु सृष्टि का पालन करते हैं। जिस मन्वन्तर में पुण्यवान् मनु नहीं मिलते, भगवान स्वयं मनुरूप धारण करके सृष्टि का पालन करते हैं ।
“यत्र यत्र हरेरर्चा स देशः श्रेयसां पदम् ।“
(भागवत ७।१४।२९)